संस्कृतविश्वम्
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अनेक शास्त्रं बहु वेदितव्यम् अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना: यत् सारभूतं तदुपासितव्यं हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात् ।


अनेक शास्त्रं बहु वेदितव्यम् अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्ना: ।
यत् सारभूतं तदुपासितव्यं हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात् ।।
पढने के लिए बहुत शास्त्र हैं और ज्ञान अपरिमित है| अपने पास समय की कमी है और बाधाएं बहुत है। जैसे हंस पानी में से दूध निकाल लेता है उसी तरह उन शास्त्रों का सार समझ लेना चाहिए।


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व्याकरण-समीक्षात्मकम्

भर्तृहरि का वाक्यपदीय (लेखिका- डॉ० कान्ता रानी भाटिया)


भर्तृहरि का वाक्यपदीय (लेखिका- डॉ० कान्ता रानी भाटिया),प्रकाशकः- भारतीय विद्या प्रकाशन – दिल्ली, वाराणसी



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सरस्वतीकण्ठाभरण (एक समीक्षात्मक अध्ययन) (डॉ० विश्वनाथ गो० शास्त्री)


सरस्वतीकण्ठाभरण (एक समीक्षात्मक अध्ययन) (भोजदेव) (डॉ० विश्वनाथ गो० शास्त्री), प्रकाशकः- परिमल पब्लिकेशन्स, दिल्ली



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भट्टिकाव्यं एवं पाणिनीय व्याकरण का तुल्नात्मक अध्ययन (डॉ० शशि बाला)


भट्टिकाव्यं एवं पाणिनीय व्याकरण का तुल्नात्मक अध्ययन (डॉ० शशि बाला), प्रकाशकः— विद्यानिधि प्रकाशन्, दिल्ली



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महाभाष्य समीक्षणम् (डॉ० गिरीशचन्द्र त्रिपाठी) (प्रदीपोद्द्योतानुसारि-नवाह्निकं यावत्)


महाभाष्य समीक्षणम् (डॉ० गिरीशचन्द्र त्रिपाठी) (प्रदीपोद्द्योतानुसारि-नवाह्निकं यावत्), प्रकाशकः- श्रीबटुकप्रकाशनम्, हरिद्वार



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प्राकृत संस्कृत का समानान्तर अध्ययन (डॉ०श्रीरंजन सुरिदेव)


प्राकृत संस्कृत का समानान्तर अध्ययन (डॉ०श्रीरंजन सुरिदेव), भाषा-साहित्य-संस्थान, इलाहाबाद



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रूपमालाविमर्शः (श्रीमत्परहंस-परिव्राजकाचार्य-विमलसरस्वतीविरचितयाः - रूपमालायाः विवेचनात्मकमध्ययनम्, (डॉ० सुरेश चन्द्र शर्मा)


रूपमालाविमर्शः (श्रीमत्परहंस-परिव्राजकाचार्य-विमलसरस्वतीविरचितयाः – रूपमालायाः विवेचनात्मकमध्ययनम्, (डॉ० सुरेश चन्द्र शर्मा),नाग प्रकाशक, दिल्ली



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शब्दार्थ विमर्श (देवनारायण मिश्र)


शब्दार्थ विमर्श (देवनारायण मिश्र), प्रकाशकः – साहित्य भण्डार, मेरठ



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धातुपाठों में अर्थनिर्देश (डॉ० माया ए० चैनानी)


धातुपाठों में अर्थनिर्देश डॉ० माया ए० चैनानी, प्रकाशकः – विद्यानिधि प्रकाशन, दिल्ली



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चान्द्रव्याकरणवृत्तेः समालोचनात्मकमध्ययनम् (लेखकः-डॉ० हर्षनाथ मिश्रः)


चान्द्रव्याकरणवृत्तेः समालोचनात्मकमध्ययनम् ,लेखकः- डॉ० हर्षनाथ मिश्रः,प्रकाशकः- श्रीलालबहादुरशास्त्री-केन्द्रीय-संस्कृतविद्यापीठम्, नई-दिल्ली



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आचार्य हेमचन्द और उनका शब्दानुशासन एक अध्ययन (लेखकः- डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री)


आचार्य हेमचन्द और उनका शब्दानुशासन एक अध्ययन,(लेखकः- डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री) ,प्रकाशकः- चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी



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पाणिनीय व्याकरण की भूमिका (डॉ० वी० कृष्णास्वामी आयंगार)


पाणिनीय व्याकरण की भूमिका डॉ० वी० कृष्णास्वामी आयंगार, प्रकाशकः – प्रभात प्रकाशन, दिल्ली



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पाणिनीयव्याकरणे प्रमाणसमीक्षा, (प्रणेता- आचार्य श्रीरामप्रसादत्रिपाठी)


पाणिनीयव्याकरणे प्रमाणसमीक्षा (प्रणेता- आचार्य श्रीरामप्रसादत्रिपाठी), प्रकाशकः – सम्पूर्णानन्द-संस्कृत-विश्वविद्यालय, वाराणसी



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पाणिनीयव्याकरणे स्त्रीप्रत्ययानामध्ययनम् (डॉ० शिवकान्त झा)


पाणिनीयव्याकरणे स्त्रीप्रत्ययानामध्ययनम् (डॉ० शिवकान्त झा), प्रकाशकः – हंसा प्रकाशन, जयपुर



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पातञ्जल महाभष्य में प्रत्याख्यात सूत्र (एक समीक्षात्मक अध्ययन), (डॉ० भीम सिंह वेदालङ्कार)


पातञ्जल महाभष्य में प्रत्याख्यात सूत्र (एक समीक्षात्मक अध्ययन), (डॉ० भीम सिंह वेदालङ्कार), प्रकाशकः – निर्मल बुक एजेन्सी, कुरुक्षेत्र



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प्रौढ़मनोरमा-शब्दरत्नयोर्विचारभेदानां युक्तायुक्तत्वसमीक्षा, (प्रणेता- डॉ० सुधीरनारायणठक्कुरः)


प्रौढ़मनोरमाशब्दरत्नयोर्विचारभेदानां युक्तायुक्तत्वसमीक्षा, प्रणेता- डॉ० सुधीरनारायणठक्कुरः



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संस्कृत व्याकरण दर्शन (रामसुरेश त्रिपाठी)


संस्कृत व्याकरण दर्शन रामसुरेश त्रिपाठी, प्रकाशकः – राजकमल प्रकशन, दिल्ली



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शब्दार्थ विमर्श (देवनारायण मिश्र)


शब्दार्थ विमर्श देवनारायण मिश्र



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पाणिनीय अष्टाध्यायी के रचना-सिद्धान्त (डॉ० विशन लाल गौड़ 'व्योमशेखर')


पाणिनीय अष्टाध्यायी के रचना-सिद्धान्त (डॉ० विशन लाल गौड़ ‘व्योमशेखर’),लोकालोक प्रकाशन- गाज़ियाबाद



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स्फोटवादविवेचनम् (ले०- डॉ० श्रीकृष्णमणित्रिपाठी)


स्फोटवादविवेचनम् (ले०- डॉ० श्रीकृष्णमणित्रिपाठी)(सम्पदाकः – डॉ० श्रीपति अवस्थी), चौखम्भा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी



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OLD INDO-ARYAN, एक ऐतिहासिक और तुलनात्मक व्याकरण खंड 1, (सत्य स्वरूप मिश्रा),


OLD INDO-ARYAN, एक ऐतिहासिक और तुलनात्मक व्याकरण खंड 1, (सत्य स्वरूप मिश्रा), प्रकाशकः – आशुतोष प्रकाशन संस्थान, वाराणसी



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व्याकरण-तन्त्र का काव्यशास्त्र पर प्रभाव (डॉ० हरिराम मिश्र)


व्याकरण-तन्त्र का काव्यशास्त्र पर प्रभाव (डॉ० हरिराम मिश्र), ईस्टर्न बुक लिंकर्स, दिल्ली



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व्याकरण की दार्शनिक भूमिका (डॉ० सत्यकाम वर्मा)


व्याकरण की दार्शनिक भूमिका (डॉ० सत्यकाम वर्मा), मुंशीराम मनोहरलाल, नई दिल्ली (बः)



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